अमेरिका और पश्चिमी देशों में बीते कुछ दिनों पहले से
रंगभेद के खिलाफ मुहिम शुरू हुआ है और लोगों ने गोरे और कालो के अंदर को मिटाने के
लिए आवाज उठाई है। और अब धीरे-धीरे
फेसबुक, ट्विटर और गूगल
जैसी कंपनियों ने भी इसका समर्थन करना शुरू कर दिया है। अब हालात यह हो गए
हैं कि भारत में गोरेपन के नाम पर हजारों करोड़ों का कारोबार करने वाली कंपनियों
ने भी इस मुहिम से जुड़ना शुरू कर दिया है।
सबसे पहले HUL ने 1975
में लॉन्च हुई
क्रीम फेयर एंड लवली से फेयर शब्द को हटा दिया है। और इसके बाद के बाद लोरियल ने भी अपने स्किन
केयर प्रोडक्ट्स से व्हाइटनिंग-फेयर शब्दों को हटा
दिया है।
अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ चल रहे आंदोलन
से यह बदलाव देखने को मिल रहा है वैसे तो गोरा और काला शब्द रंगभेद की तरफ इशारा
करता है बल्कि इन कंपनियों ने इसे हटाने का ऐलान करके बड़ा फैसला किया है।
हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड की फेयर एंड लवली क्रीम का भारत में
मार्केट की हिस्सेदारी का आधा हिस्सा से भी ज्यादा हिस्सा इनके पास है। और भारत
में इस तरह के प्रोडक्ट का मौजूदा बाजार में 3000 करोड़ का है और यह लगभग 2023
तक 5000
करोड़ तक के
कारोबार की होने की संभावनाएं जताई जा रही थी। भारत के स्किन केयर मार्केट की आधे
हिस्से पर इसी तरह के गोरापन बढ़ाने का दावा करने वाली क्रीम का हिस्सा है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर और लोरियल के साथ पीएनजी, ओले, गार्नियर जैसे बड़े नामों का मार्केट
में दबदबा कायम है। शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, विराट कोहली व प्रियंका चोपड़ा
जैसे कई सितारे इन प्रोडक्ट के ब्रांड एंबेसडर है लेकिन यह मार्केट केवल यहां तक
ही सीमित नहीं है बल्कि भारत में कई तरह के वैकल्पिक चिकित्सा उपलब्ध है। और इनके
पास भी लोग गोरापन बढ़ाने का फार्मूला ढूंढने जाते हैं।
लेकिन नेचुरोपैथी का साफ मानना है कि
केवल किसी क्रीम से कोई इंसान गोरा नहीं हो सकता। वैसे तो यह बाजार भारत में अच्छी
खासी रफ्तार से बढ़ रहा है और लोग डाइटिशियन के पास भी गोरेपन का नुस्खा उन्होंने
पहुंच जाते हैं। हालांकि डाइटिशियंस का कहना है कि वह इस शोध को बढ़ावा
नहीं देते।
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